कवि के लिए संवेदन की तीव्रता एवं अंतस की पीड़ा ही ऊसे बेहतर रचनाकार बनती है | साथ ही सामाजिक जीवन को गति देन के साथ रचनाकार के रचनाकर्म को प्रभावशाली भी बनती है | चैतन्य आलोक के निर्झर सेठिया जी ने जीवनपर्यन्त सत्य का अन्वेषक बनकर श्रमपूर्वक जिया है | सेठिया जी के काव्य में श्रीकृष्ण की अनासक्ति, श्रीराम की मर्यादा, बुद्ध की करुणा, ईसा – मसीह का प्यार, महावीर की अनुकंपा, महात्मा गाँधी की विश्वमैत्री, कबीर का सत्य, मीरा का समर्पण, तुलसी की काव्यकला और कालिदास के मेघदूत के सौंदर्य की अनुभूति एक साथ पाठक को होती है | |